राजेश एक मध्यमवर्गीय कर्मचारी था, जो वर्षों की मेहनत के बाद अपने पुश्तैनी गांव में एक छोटा-सा घर बनवा रहा था। नक्शा पास हुआ, नींव खुदी, RCC भरा गया। लेकिन तीन महीने बाद जब पहली बारिश आई, तो नींव से पानी रिसने लगा। दीवारों में नमी, फर्श में सीलन और घर में बदबू फैलने लगी।
राजेश के मन में सवाल उठने लगे – क्या मैंने घर बनाने में कोई भूल की? तब उसके इंजीनियर दोस्त ने कहा, “राजेश, नींव तो डाली लेकिन वॉटरप्रूफिंग करना भूल गया।”
यहीं से शुरू होती है राजेश की सीखने और सुधार की यात्रा – “फाउंडेशन वॉटरप्रूफिंग की पूरी प्रक्रिया”।
वॉटरप्रूफिंग क्यों जरूरी है?
राजेश सोचने लगा – “अगर नींव जमीन के नीचे है, तो उसमें वॉटरप्रूफिंग क्यों चाहिए?” यही सोच हर आम आदमी की होती है, लेकिन असलियत यह है:
1.1. ज़मीन का पानी सबसे खतरनाक:
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जमीन के नीचे अक्सर स्टैग्नेंट वॉटर होता है
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बारिश के बाद ये पानी नींव में समा जाता है
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लगातार संपर्क से RCC में हायड्रोस्टैटिक प्रेशर आता है
1.2. नतीजा क्या होता है?
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सीलन और फंगस
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रॉड का जंग लगना (Corrosion)
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प्लास्टर उखड़ना
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घर की लाइफ घट जाना
राजेश को अब समझ में आया कि नींव सिर्फ मजबूत नहीं, जलरोधी (Waterproof) भी होनी चाहिए।
शुरुआती गलती और उसका असर
राजेश की नींव खुदाई के बाद सीधे RCC भर दिया गया। नीचे की मिट्टी में नमी थी, पर किसी ने भी वॉटरप्रूफिंग की परवाह नहीं की। परिणामस्वरूप:
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बारिश के दो महीने बाद सीलन आई
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दीवारों पर सफेद दाग (Efflorescence) दिखे
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फर्श में नमपन रहने लगा
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बिजली के बोर्ड्स से करंट तक लगने लगा!
इसी समस्या ने राजेश को मजबूर कर दिया कि अब कुछ करना ही होगा। उसने तुरंत एक सिविल इंजीनियर को बुलाया – अनिरुद्ध वर्मा, जो वॉटरप्रूफिंग में विशेषज्ञ थे।
अनिरुद्ध की एंट्री और असली शिक्षा
अनिरुद्ध साइट पर आए, मिट्टी को देखा, मौजूदा नींव की स्थिति जाँची और बोले:
“राजेश, ये समस्या आम है लेकिन समाधान है – पर थोड़ी मेहनत और सही तकनीक चाहिए।”
राजेश ने पूछा – “क्या अब इसे ठीक किया जा सकता है?”
अनिरुद्ध ने मुस्कुराकर कहा, “हां, लेकिन अगर तुमने शुरू में ही वॉटरप्रूफिंग करवाई होती, तो आज ये खर्च नहीं होता।”
अनिरुद्ध ने सिखाया – वॉटरप्रूफिंग के 2 स्टेज
1. Pre-construction Waterproofing (नींव से पहले):
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Anti-termite + Waterproof coat
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Bituminous membrane या Liquid membrane coating
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Compacted earth + PCC layer में waterproof admixture
2. Post-construction Waterproofing (बाद में सुधार):
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Injection Grouting
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Cementitious Coating
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PU Coating (Polyurethane)
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Drain Board और Protective Screed
“लेकिन अब तुम्हारे केस में हमें ‘पोस्ट-कंस्ट्रक्शन वॉटरप्रूफिंग’ करनी होगी,” अनिरुद्ध बोले।
राजेश की फाउंडेशन वॉटरप्रूफिंग की यात्रा शुरू
Step 1: खुदाई
राजेश की नींव की बाहरी दीवारों को 2 फीट गहराई तक खुदवाया गया।
Step 2: सफाई और सुखाना
काली परत, काई, सीलन को हटाकर ब्रश और ब्लोअर से सूखाया गया।
Step 3: प्राइमर लगाना
Bitumen आधारित प्राइमर लगाया गया ताकि waterproofing material दीवार से चिपके।
Step 4: Waterproof Coating
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दो कोट Cementitious Waterproof Coating लगाए गए
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उसके बाद Bituminous Membrane (1.5 mm मोटाई) चिपकाई गई
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जोड़ों पर Overlapping और Sealant लगाया गया
Step 5: Protection Board
Waterproofing के ऊपर HDPE प्रोटेक्शन बोर्ड लगाए गए ताकि मिट्टी या पत्थर उसे नुकसान न पहुंचाएं।
Step 6: Backfilling
फिर से मिट्टी भरते समय में कोर्स सैंड और कंकड़ का लेयर डाला गया – ताकि drainage बना रहे।
राजेश ने पहली बार महसूस किया कि यह प्रक्रिया कितनी वैज्ञानिक और गंभीर थी।
अगली बारिश और नया अनुभव
तीन महीने बाद फिर से बारिश आई। लेकिन इस बार:
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दीवारें सूखी रहीं
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फर्श ठोस और सूखा
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बिजली की कोई दिक्कत नहीं
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बच्चों को खेलने में कोई डर नहीं
राजेश ने चैन की सांस ली – “अब मेरा घर वाकई में सुरक्षित है।”
उसने अपने पड़ोसी को भी बताया – “वक्त रहते फाउंडेशन में वॉटरप्रूफिंग करवा लो, नहीं तो सीलन से दीमक तक सब घुस आएंगे।”
क्या-क्या विकल्प हैं फाउंडेशन वॉटरप्रूफिंग में?
अनिरुद्ध ने राजेश को अलग-अलग तकनीकों का ज्ञान भी दिया:
तकनीक | इस्तेमाल | लागत (₹ प्रति वर्गफुट) | टिकाऊपन |
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Bituminous Coating | सामान्य नींव | ₹25–₹35 | 10–12 साल |
Cementitious Coating | आंतरिक नींव | ₹20–₹30 | 8–10 साल |
Liquid Membrane (PU) | कठिन सतहों पर | ₹45–₹60 | 15 साल तक |
Sheet Membrane (HDPE) | भारी पानी वाले एरिया | ₹60–₹80 | 20 साल तक |
Injection Grouting | रिसाव वाले हिस्सों पर | ₹100–₹150 | 10+ साल |
राजेश ने Bitumen + Cementitious को चुना क्योंकि उसकी ज़मीन Black Cotton Soil थी और ज़्यादा वॉटर रिटेंशन होता था।
नींव सिर्फ मजबूती नहीं, सुरक्षा भी होनी चाहिए
राजेश की यह यात्रा हर उस इंसान के लिए सबक है, जो सोचता है कि वॉटरप्रूफिंग एक लग्ज़री है।
सच यह है:
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वॉटरप्रूफिंग एक इन्वेस्टमेंट है, खर्च नहीं।
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नींव अगर रिसने लगे तो पूरा घर खतरे में होता है।
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नई तकनीक से अब यह सरल और टिकाऊ हो गई है।
✅ पहले ही वॉटरप्रूफिंग करवा लें
✅ सही तकनीक और सामग्री चुनें
✅ इंजीनियर की सलाह लें
✅ 5 से 10% बजट वॉटरप्रूफिंग के लिए रखें
✅ घर को नमी, फंगस और रिसाव से बचाएं
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