“अगर आप जमीन बेचना चाहते हैं, तो पहले तहसील जाओ — 7/12 तैयार करो, फिर सौदे की बात करो। नहीं तो आप सौदा नहीं, सिरदर्द खरीद लेंगे।”
नासिक के पास स्थित एक गांव में शेखर पाटील नाम का किसान रहता था। उसके पास पुश्तैनी 3 एकड़ जमीन थी। उम्र ढल रही थी, बच्चे शहर में नौकरी करने लगे थे और शेखर अब उस जमीन को बेचना चाहता था।
पर उसे क्या पता था कि 'एक कागज' की कमी उसकी पूरी डील को अटका देगी — और वो कागज था 7/12।
सौदे की शुरुआत
2024 का अंत चल रहा था। एक बिल्डर कंपनी गांव के आसपास जमीनें खरीद रही थी — और अच्छे दाम पर।
एक एजेंट शेखर के पास आया और बोला,
“तुम्हारी ज़मीन के लिए 45 लाख प्रति एकड़ ऑफर है। 15 दिन में डील क्लोज होगी।”
शेखर को लगा ये तो सोने पर सुहागा है।
बिना ज़्यादा जानकारी लिए वह मान गया।
लेकिन यहीं से उसकी सबसे बड़ी गलती शुरू हुई — उसने यह मान लिया कि जमीन बेचना ‘सिर्फ एक कागज’ का काम है।
दस्तावेज़ों की मांग
बिल्डर के वकील ने ज़मीन की डिटेल मांगी —
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साटबारा (7/12)
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फेरफार (mutation)
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नक्शा
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मालिकाना हक का सबूत
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वाटन दस्तावेज
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NOC
शेखर ने सिर्फ पुराने खरीददारी के दस्तावेज़ और कुछ बिजली बिल दिखाए।
वकील बोला,
“7/12 नहीं है तो लैंड रिकॉर्ड अधूरा है। बैंक लोन भी नहीं मिलेगा।”
शेखर चौंक गया:
“क्या 7/12 इतना जरूरी है?”
7/12 का मतलब क्या है?
शेखर अब तहसील ऑफिस गया।
क्लर्क ने समझाया —
“7/12 उतारा महाराष्ट्र में जमीन का पूरा रिकॉर्ड होता है। इसमें दर्ज होता है:
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जमीन किसके नाम है (मालिक)
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कितनी जमीन है
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सर्वे नंबर
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खेती का प्रकार
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ऋण या बंधक की स्थिति”
यह हर साल अपडेट होता है और यह कानूनी स्वामित्व और उपयोग का प्रमाण होता है।
यानी बिना 7/12 के, ज़मीन की बिक्री कानूनी रूप से अधूरी मानी जा सकती है।
पुराना रिकॉर्ड और नामांतरण की समस्या
शेखर ने जो 7/12 निकाला, वह उसके पिता के नाम पर था।
बिल्डर ने तुरंत कहा, “जब तक यह आपके नाम पर नहीं होगा, हम डील साइन नहीं कर सकते।”
शेखर बोला, “ये तो मेरी पुश्तैनी जमीन है!”
पर वकील ने समझाया कि
“7/12 में नाम नहीं है = कानूनी मालिक नहीं हो।”
अब शेखर को नामांतरण (Mutation Entry) करवाना पड़ा।
उसे:
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पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र
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वंशावली प्रमाण पत्र
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अन्य भाइयों की सहमति (NOC)
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तहसील में अर्जी
देनी पड़ी।
भाइयों की नाराज़गी
शेखर के छोटे भाई रमेश ने दस्तावेज़ों पर साइन करने से मना कर दिया।
“क्यों बेच रहे हो जमीन? हमारा भी हिस्सा है।”
अब मामला उत्तराधिकार और संयुक्त स्वामित्व में फंस गया।
🔴 यही वह गलती थी: 7/12 अगर पहले अपडेट करा लिया होता, तो यह विवाद पहले ही सामने आ जाता।
अब खरीदार ने डील टाल दी — और एजेंट ने भी पीछे हटना शुरू कर दिया।
खरीदार का शक और डील का ठप होना
बिल्डर को अब शक हो गया कि
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मालिकाना हक साफ नहीं है
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परिवार में विवाद है
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जमीन कानूनी तौर पर बेचने योग्य नहीं है
उसने कहा, “जब तक 7/12 क्लियर नहीं होगा, हम एक पैसा नहीं देंगे।”
शेखर की उम्मीदें टूटने लगीं।
ऑनलाइन 7/12 की खोज और 'Live 7/12'
शेखर का बेटा जो मुंबई में नौकरी करता था, उसने महाराष्ट्र सरकार की नई स्कीम के बारे में बताया —
Live 7/12 (जिंवत सातबारा)।
अब जमीन रिकॉर्ड डिजिटल हो चुका था।
शेखर को सिखाया गया कि:
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https://bhulekh.mahabhumi.gov.in पर जाकर
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अपने गाँव, तालुका और सर्वे नंबर से
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Online 7/12 देखा जा सकता है।
उसे यह भी पता चला कि 2025 से सभी सौदों के लिए Live 7/12 जरूरी हो गया है।
सुधार और पुनः प्रयास
शेखर ने:
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Mutation पूरा करवाया
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भाइयों से सहमति ली
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नई Live 7/12 निकाली
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जमीन का Digital Sketch बनवाया
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फॉर्म XVI और अन्य NOCs ली
अब उसके पास कानूनी और स्पष्ट ज़मीन दस्तावेज़ों की पूरी फाइल थी।
डील की वापसी
वही बिल्डर कंपनी एक महीने बाद वापस आई।
“अब आपके पास सारे डॉक्यूमेंट हैं। हम 50 लाख प्रति एकड़ देंगे — Live 7/12 के कारण बैंक लोन भी तुरंत मिलेगा।”
डील फाइनल हुई।
रजिस्ट्रेशन भी 10 दिन में हो गया।
शेखर अब समझ चुका था कि:
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7/12 सिर्फ एक कागज़ नहीं, बल्कि कानूनी प्रमाण है
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इसमें मालिकाना हक, भूमि का उपयोग, ऋण की स्थिति — सब दर्ज होता है
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बिना 7/12 डील संभव नहीं
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Live 7/12 आने के बाद पारदर्शिता और जरूरी हो गई है
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परिवारिक सहमति, नामांतरण, mutation — ये सब इससे जुड़े हुए हैं
क्या 7/12 जरूरी है?
हां, अगर आप महाराष्ट्र में जमीन (खासकर कृषि भूमि या ग्रामीण क्षेत्र की) बेचते हैं, तो:
✅ 7/12 (सातबारा)
✅ Mutation
✅ Live Entry
✅ NOC
✅ सही मालिकाना हक
अत्यंत जरूरी हैं।
इनके बिना आपकी डील कानूनी रूप से अधूरी या फंस सकती है।
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